सफदरजंग अस्पताल में हो सकती है हड़ताल, डॉक्टरों को नहीं मिले सुरक्षा मास्क
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" alt="" aria-hidden="true" />दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टर आज हड़ताल पर जा सकते हैं। अस्पताल में कोरोना वायरस ग्रस्त एक मरीज सहित 41 भर्ती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना वायरस को लेकर जहां इतना हंगामा है वहीं उन्हें अस्पताल में सुरक्षा के लिए मास्क नहीं दिए हैं। 


बुधवार को डॉक्टर ओपीडी में इलाज तभी करेंगे जब उन्हें सुरक्षा के मास्क बांटे जाएंगे। इससे पहले दिल्ली सरकार के महर्षि वाल्मीकि अस्पताल में कोरोना वायरस की आशंका चलते हाजिरी रजिस्टर पर ली जा रही है। 

मंगलवार देर रात सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने एक बैठक के बाद मास्क न मिलने पर हड़ताल का फैसला लिया है। इस बारे में उन्होंने प्रबंधन को भी बता दिया है लेकिन देर रात तक प्रबंधन की ओर से जबाव नहीं मिला है।

सफदरजंग अस्पताल में एक कोरोना वायरस पॉजिटिव और 40 संदिग्ध मरीज आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि डॉक्टरों की चेतावनी पर मंत्रालय बड़ी कार्रवाई कर सकता है।



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NEWS उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा ने लोगों के दिलों-दिमाग पर ऐसे जख्म दिए हैं, जो शायद ही कभी भर पाएं। राहत शिविर में मौजूद लोगों की आंखों से अपना दर्द बयां करते हुए टप-टप आंसू गिरने लगते हैं। रोते हुए लोगों की जुबां पर बस यह ही बयान था कि हमने किसी का क्या बिगाड़ा था। जैसे-तैसे इन लोगों ने हिंसा के समय अपने व परिवार की रक्षा की। उपद्रवियों ने इनका सब कुछ जला दिया। शिव विहार में रहने वाले 30 साल के राहत अली ने तो दूसरी मंजिल से कूदकर किसी तरह अपनी जान बचाई। उसकी पिछली गली में पानी भरा था और कीचड़ थी। ऐसे में पानी की वजह से उसे ज्यादा चोट नहीं लगी। कुछ लोग उपद्रवियों के हत्थे चढ़े। इन लोगों ने मरा हुआ समझकर उन्हें छोड़ दिया। लेकिन उनकी जान बच गई। शिव विहार गली नंबर-12, फेस-7 में रहने वाले मोहम्मद दिलशाद बताते हैं कि सोमवार 24 फरवरी को बाड़ा हिंदूराव स्थित ईदगाह इज्तमे में गए थे। वहां से शाम के समय वह अपने चार अन्य दोस्तों के साथ ऑटो से घर लौट रहे रहा था। इन लोगों ने टोपियां लगाई हुई थी। गामड़ी के पास न्यू उस्मानपुर पांचवा पुश्ते पर उपद्रवियों की भीड़ ने उनका ऑटो रुकवा लिया। दोस्त तो किसी तरह भाग गए। लेकिन दिलशाद को उपद्रवियों ने बुरी तरह पीटा। उसके दोनों हाथ तोडने के अलावा उसके सिर को कई जगह से फोड़ दिया गया। मरा हुआ समझकर उसे छोड़ दिया गया। दो दिन बाद उसे जीटीबी अस्पताल में होश आया तो उसकी पत्नी खुशनुमा ने बताया कि शिव विहार में उपद्रवियों ने उनका मकान भी जला दिया है। पूरा परिवार हिंसा से पहले ही मुस्तफाबाद पहुंच गया था। इसी तरह मोहम्मद रईस (40) भी अपनी पत्नी बेबी बेगम व चार बच्चों के साथ शिव विहार में गली नंबर-3 में किराए के मकान में रहते थे। हिंसा हुई तो वह परिवार के साथ दूसरी मंजिल पर मौजूद थे। शोर हुआ तो वह पूरे पझ्रिवार को लेकर पीछे वाले रास्ते से निकले, लेकिन उपद्रवियों ने पथराव कर दिया। हमले में सिर में पत्थर लगने की वजह से रहीस से बुरी तरह जख्मी हो गए, लेकिन उनका परिवार सुरक्षित बच गया। उनके परिवार ने चमन पार्क में एक हिंदू भाई के घर पर शरण ली। वहीं, जाफराबाद में रहने वाले फिरोज का गोदाम उपद्रवियों ने लगा दिया। इसका टीवी के कार्ड का कारोबार है। गोदाम में 20 लाख रुपये का माल था जो जलकर खाक हो गया। फिरोज का कहना था कि वह अभी तक गोदाम तक नहीं पहुंच पाए हैं। उनके पड़ोसियों ने ही कॉल कर उन्हें गोदाम की फोटो भेजकर सूचना दी थी।
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विभाग के अधिकारी ने बताया कि एन 95 मास्क कम से कम चार बार इस्तेमाल किए जा सकते हैं। सभी कर्मचारियों को जरूरत के आधार पर पांच-पांच मास्क दिए जा रहे हैं जो अगले 20 दिनों के लिए पर्याप्त होंगे।
ऐसे में वह कैसे इलाज करेंगे? एम्स के चिकित्सीय अधीक्षक डॉ. डीके शर्मा ने मास्क उपलब्ध करवाने का आदेश जारी कर दिया। आदेश के तहत अस्पताल के सभी डॉक्टरों को विभाग अध्यक्ष द्वारा, सभी नर्स व टेक्निकल स्टाफ को डीएनएस व एएनएस के माध्यम से और मेंटेनेंस में लगे कर्मचारियों को नर्सेज के माध्यम से पांच-पांच मास्क उपलब्ध करवाए जाएंगे।
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